नियमों की धज्जियां उड़ा रहा छतरपुर कलेक्टर का वाहन . . .
परिवहन विभाग असहाय
ब्यूरो छतरपुर | लक्ष्मी नारायण शर्मा
दूसरों को नियमों का पाठ पढ़ाने वाले अफसर ही नियमों का उल्लंघन कर रहे है। जब यह उल्लंघन जिले के वरिष्ठतम अधिकारी करें तो फिर कहना ही क्या। कलेक्टर संदीप जीआर जिस वाहन का उपयोग कर रहे हैं, वह निजी श्रेणी में पंजीकृत है जबकि शासकीय नियम है सरकारी कार्यालयों में अनुबंधित वाहन को व्यावसायिक श्रेणी में पंजीकृत होना चाहिए । कलेक्टर के पास जो वाहन नं. एमपी - 16 बीडी 1550 है, वो डिकौली समिति प्रबंधक हरिओम अग्निहोत्री के पुत्र शशिकांत अग्निहोत्री के नाम पर है। सूत्रों के अनुसार जिपं की मनरेगा शाखा से उक्त वाहन को अनुबंधित किया गया है। जिसका लगभग 25 हजार रु. भुगतान किया जा रहा है। वाहन तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह के समय अनुबंधित किया गया था।
जिले में लगभग एक सैकड़ा से अधिक गाड़ियों का उपयोग किया जा रहा है जो निजी श्रेणी में पंजीकृत हैं । । व्यवसायिक श्रेणी में पंजीकरण के लिए प्रत्येक वर्ष आरटीओ से फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के लिए टैक्स जमा करना होता है तथा अन्य राज्य में जाने के लिए भी परमिट जारी करवाना होता है । इसका भी टैक्स अदा करना होता है। निजी श्रेणी में पंजीकृत वाहन का ही बीमा होता है जबकि व्यावसायिक श्रेणी के वाहनों का वाहन के साथ यात्रा कर रहे यात्रियों का भी बीमा होता है। सरकारी कार्यालयों में किराए पर लगे वाहन व्यवसायिक श्रेणी में दर्ज नहीं होने से सरकार को लाखों रुपए की राजस्व हानि हो रही है।
कलेक्टर ने रिसीव नहीं किया कॉल
उक्त वाहन के संदर्भ में कलेक्टर संदीप जीआर से उनका पक्ष जानने ट का प्रयास किया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। इस संवाददाता ने उनके मोबाइल पर तीन बार कॉल किया जिन्हें उन्होंने रिसीव नहीं किया।
व्यावसायिक पंजीयन जरुरी


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