त्रियुगीनारायण मंदिर की " ज्योति " का रहस्य ।
क्या आपको ऐसी ज्योति के बारे मे ज्ञात है जो त्रेता युग से निरन्तर जली आ रही है
या कहै की वह ज्योति आज भी जल रही है क्या है उस ज्योती का रहस्य । किस कारणो की बजह से आज भी जल रही है आज वह ज्योति कहा स्थति है आइऐ जानने की कोशिश करते है और जानते है ज्योति के पीछे के रहस्य एवं कहानीओ को आइऐ चलते है।
लगातार जलने वाली " ज्योति " का रहस्य ।
ज्योती का मौजुद स्थान का रहस्य :-
उत्तराखंड मे त्रियुगीनारायण नाम का एक पौराणिक मंदिर है माना जाता है इसी मंदिर में वह ज्योति स्थित है जिसकी हम बात कर रहै है इस ज्योति के पीछे का रहस्य व कहानी यह है की माना जाता है।
यह वही अग्नि अर्थात ज्योति है जहाँ भगवान शंकर व माता पार्वती ने एक दूसरे से विवाह किया था यह वही ज्योति है जो भगवान शंकर के विवाह के दौरान हवनकुड के लिए प्रज्जवलित कि गई थी। इसी पवित्र स्थान को माता पार्वती व भगवान शंकर के विवाह का पवित्र स्थल माना जाता है और माना यह भी माना जाता है यह भी जाता है की यह ज्योति वीते हुऐ युगो से निरन्तर जलती आ रही है। तथा तीनो युगो मे निरन्तर जलती रहेगी।
भगवान विष्णु बने माता पार्वती के भाई :-
यहा भगावन विष्णु ने माता पार्वती का भाई बनकर विवाह की समस्त रीतियों का सम्पन्न कराया था तथा सभी देवताओ ने विवाह में सम्मलित होने से पहले यहा स्नान किया था जिसका प्रमाण आज भी स्थित तीन कुंड देते है
जिसमे प्रथम कुंड है रूद्र कुण्ड तथा दूसरे कुंड का नाम है ब्रहा कुंड एवं तीसरे कुंड का नाम है विष्णु कुंड इन कुंडो मे जल सरस्वती कुंड से आता है
मंदिर के अंदर मौजूद बामन अवतार :-
इस त्रियुगी नारायण मंदिर मे भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा होती है। पौराणिक कथा के अनुसार जब राजा बलि इंद्रासन पाने के लिऐ सौ यज्ञ कर रहे थे तो भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर 99 यज्ञ पूर्ण होने के उपरान्त राजा बलि का सौवा यज्ञ भंग कर दिया था इसिलिए यहा भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा होती है व इस मंदिर में तीनो युगो से निरन्तर ज्योती जलने के कारण व भगवान विष्णू की पूजा होने के कारण इस मंदिर का नाम त्रियुगीनारायण मंदिर नाम रखा गया।
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