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हाथी के दांत खाने के कोई और दिखाने के कोई और


आला अधिकारियों के निर्देश के बाद भी तमाम अव्यवस्थाओं के साथ सुसज्जित खरीदी केंद्र।

आला अधिकारियों के हाल "हाथी के दांत  दिखाने के कोई और खाने के कोई और" 

किसानो को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले तथा उनकी स्थिति में सुधार हो इस लिए शासन के द्वारा ही MSP की व्यवस्था की गई थी ताकि किसानों को अपने माल की उचित राशि प्राप्त हो । Msp को एक सफल नीति के रूप में देखा जाता है यदि शासन बेहतर msp मूल्य तथा बेहतर msp नीतियां बनाए तथा इस बात को सुनिश्चित करे की उक्त खरीदी के समय उन्हें असुविधाओं या परेशानियों का सामना ना करना पड़े ।

मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों के लिए खरीदी केंद्र पर  सुव्यवस्थित व्यवस्था रखने के लिए नाना प्रकार के दिशा निर्देशों को जारी किया है तथा समस्त जिला अधिकारियो को इस पूरी व्यवस्था पर निगरानी रखने के लिए आदेशित किया था जिसके उपरांत छतरपुर जिले के जिलाधिकारी संदीप जी आर के द्वारा जिले की समस्त मंडियों , व समीतियों का विजिट किया तथा किसानो के लिए छाया तथा पानी की उचित व्यवस्था बनाए रखने के लिए कहा था ।

कलेक्टर महोदय के कथन - " खरीदी केंद्रों में किसानों के लिए छाया और पीने के पानी की उत्तम व्यवस्था की जाए जिससे किसानों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े।"


अव्यवस्थाओं से सुसज्जित बक्सवाहा खरीदी केन्द्र ।


बक्सवाहा मंडी में स्थित बक्सवाहा खरीदी केंद्र तमाम अव्यवस्थाओं तथा परेशानियों से भरा पड़ा है ।किसानों को msp पर अपनी उपज बेचते समय अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है । 




पानी तक की उचित व्यवस्था नहीं ।



बक्सवाहा खरीदी केंद्र में किसान भाइयों को इस भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए भी ठंडे पानी की उचित व्यवस्था नहीं है जिसके कारण किसानों को पीने के पानी तक के लिए बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है ।

पर्ची की समस्या :- 


किसानो के सामने आने वाली एक समस्या पर्ची के समस्या भी होती है ,जिसके कारण किसान भाइयों को इस बात के प्रति संतोष नहीं हो ता की उनका माल पूर्ण रूप से भरा जा चुका है  तथा कहीं वे ठगी के शिकार तो नहीं हो रहे है ।

तौल के लिए कांटे ( इलेक्ट्रिक तौल मशीन ) की समस्या :-


खरीदी केंद्र के पास मात्र दो है इलेक्ट्रिक कांटे ( तौल मशीन ) है जिसके कारण किसान को अपने माल की तौल के लिए 3-4 घंटे तक है इंतजार करना पड़ता है ।

निष्कर्ष :-

समय से खरीदी ना होने के कारण भी किसानों को कई प्रकार की समस्या  पहले ही झेलनी पड़ी किंतु अब खरीदी के समय भी खरीदी उचित सुव्यवस्था के साथ ना होना  आला अधिकारियो के उपर सबाल खड़े करता है कि आखिर क्यों आला अधिकारियों के द्वारा स्वयं केंद्र पर उपस्थित होकर भी तमाम व्यवस्थाओं को सुनिश्चित व सुदृढ़ रखने के  लिए आदेश देने के बाद भी तमाम अव्यवस्थाएं मौजूद है आखिर क्या कारण है इन सभी का?

क्या आला अधिकारियो को इस बात की जानकारी नहीं है?







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