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RASHTRAVAD बकस्‍वाहा के सामुदा‍यिक स्‍वास्‍थ केन्‍द्र की व्‍यवस्‍था व्‍यवस्थित रूप से चलाने के लिऐ सौपा ज्ञापन

RASHTRAVAD बकस्‍वाहा के सामुदा‍यिक स्‍वास्‍थ केन्‍द्र की व्‍यवस्‍था व्‍यवस्थित रूप से चलाने के लिऐ सौपा ज्ञापन 

 छतरपुर बकस्‍वाहा :- 

शासकीय हॉस्पिटल और उप स्वास्थ्य केन्द्र में वेहाल व्यवस्था को लेकर तहसीलदार और बीएमओ के माध्यम से कलेक्टर और जिला चिकित्सा के नाम युवाओ ज्ञापन सौपा


बकस्‍वाहा सामुदायिक स्‍थावस्‍थ के लगातार लापरवाही बढती जा रही है जिसमे डाक्‍टराे का समय से अस्‍पताल मे न पहुचना मरीज को समय से उचित इलाज न मिलना और डाक्‍टरो को अस्‍पताल मे रहना लगतार सामुदायिक स्‍वास्‍थ केन्‍द्र बक्‍स्‍वाहा की लापरवाही को दर्शाता रहा है

बकस्‍वाहा जनसंख्‍या की दृष्टि से काफी बडा इलाका है जिसके काफी इलाका है और लगभग ३९ पंचायत है इस क्षेत्र मे निवास करने वाले लोग स्‍वास्‍थ से संबंधित किसी भी समस्‍या को लेकर प्रथामिक रूप से बकस्‍वाहा सामुदायिक स्‍वास्‍थ केन्‍द्र पहुचते है साथ कुछ लोग गंभीर परिथति मे मे स्‍वास्‍थ केन्‍द्र पहुचते है चाहे वह वृध व्‍यक्ति हो या वह गंभीर परिथति मे आई हुइी गर्भवती महिला हो या वह घायल व्‍यक्ति हो सभी लोक आपातकाल स्थिती मे प्रथमिक उपचार हेतू  सामु‍दायिक स्‍वास्‍थ केंद्र पहुचते है ऐसे मे यदि स्‍वास्‍थ केंंद्र मे डाक्‍टर न मिले या समय पर न मिले तो मरीज को इस चीज का खमियाजा मरीज काे भुगतना पडता है इस प्रकार की लापरवाही का शिकार मरीज को स्‍वयं बनना पडता है     

 नेता आशिक मंसूरी बकस्वाहा ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार अनुच्छेद 21 में राइट टू हेल्थ का अधिकार जो मानवाधिकार माना जाता है जिसे हम जीवन जीने का अधिकार कहते हैं स्‍वास्‍थ का अधिकार राज्‍य का नीती निदेशक तत्‍वो मे एक मुख्‍य अधिकार है 

(लेकिन वहीं बक्सवाहा ब्लॉक में करीब 39 ग्राम पंचायत हैं करीब 125 गांव है अधिकतर जो ग्राम स्तर पर शासकीय उप स्वास्थ्य केंद्र खुले हैं उनमें व्यवस्थाएं सही नहीं है ग्रामीण जनों का कहना है इसलिए वह एकमात्र शासकीय अस्पताल जो बक्सवाहा में है वहां पर लोग इलाज करने के लिए आते हैं लेकिन वही समय से डॉक्टर नहीं मिलते हैं लोगों का कहना है व्यवस्थाएं सही नहीं है लोग परेशान होते हैं इलाज कराने के लिए 30 से 40 किलोमीटर दूर से लोग आते हैं बक्सवाहा स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे लेकिन जब वह आते हैं उन्हें उसे तरीके की व्यवस्थाएं नहीं मिलती हैं और सही तरीके से उनसे बात नहीं की बात की जाती है जब समानता का अधिकार संविधान ने दिया है फिर भी ऐसा क्यों भेदभाव की भावना नही होनी चाहिए 




बही एक ओर डॉक्टर को भगवान की उपाधि दी जाती है और भगवान का रूप कहा जाता है लेकिन जब वही लोग अपनी ड्यूटी के अनुसार काम नहीं करते हैं अन्य कमियां के चलते सही सिस्टम न होने के कारण इलाज की अभाव के कारण में लोग दम तोड़ देते हैं और उनकी मौत हो जाती है इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा कहीं ना कहीं प्रश्न चिन्ह खड़ा होता 

इसलिए व्यवस्थाएं सही की जाए और जो भी डॉक्टरों की ड्यूटी है जानकारी चश्मा करके कार्यालय के बाहर चिपका दी और उनके मोबाइल नंबर साथ में जाए ताकि लोगों को परेशानी ना हो अगर कोई रात के समय आता है तो वह डायरेक्ट कांटेक्ट नंबर के जरिए डॉक्टर से बात करले है और समय के अनुसार लोगों को इलाज मिलने जाए ताकि उनके स्वास्थ्य में बेहतर सुधार हो 


अतः जो ज्ञापन में लेख लिखा है उसके अनुसार अगर व्यवस्थाएं सही नहीं हुई 10 दिवस के अंदर तो अस्पताल की बहार धरना प्रदर्शन किया जाएगा लोगों के द्वारा की जिम्मेदारी स्वयं अस्पताल प्रबंधन की होगी


ज्ञापन देने वालों में आशिक मंसूरी बकस्वाहा,मनीष लोधी,नीलेश लोधी, बृजेश वंशकार, देवेंद्र नामदेव, सुरेन्द्र लोधी, नंदकिशोर अहिरवार,मुकेश अहिरवार,रामदास साहू, कृष्णा विश्वकर्मा,नीरज सेन,और दर्जनों क्षेत्र के युवा रहे मौजूद 

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