भारतीय संविधान :- का कच्चा चिठ्ठा
---------------
भारतीय संविधान। में 22 भाग है ।
भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद है ।
भारतीय संविधान में 12 अनुसूचियां है ।
अनुसूची 1 भारत राज्यो का संघ है ।
भारत ने 28 राज्य है तथा 8 केंद्र शासित प्रदेश है ।
केंद्र शासित प्रदेश वे क्षेत्र होते है जो राजधानी से दूर हो, छोटे हों और राष्ट्रीय महत्व के हों ।
अनुसूची 2 में वेतन हैं।
अनुसूची 3 में शपथ है ।
अनुसूची 4 में राज्यसभा है ।
अनुसूची 5 में SC/ST के लिए विशेष प्रावधान है ।
अनुसूची 6 में पूर्वोत्तर राज्य है।
अनुसूची 7 में शक्ति का विभाजन है ।
जब कोई राज्य छोटा होता है तो वहां भाषा , संस्कृति आदि कई चीजों में विविधता और विभिन्नता का सामना नहीं करना पड़ता है लेकिन यदि देश बहुत बड़ा व भारत जैसा कई विविधता से भरा हो तो ऐसी देश के प्रशासन को चलाने के लिए संघात्मक शासन व्यवस्था अपनाई जाती है । जिसमें शासन तो केंद्र सरकार का होता है लेकिन कुछ विषयों पर करने की शक्ति केंद्र राज्य के साथ साझा कर लेता है ।
जो शक्तियां केंद्र सरकार के पास होती है उन्हे संघ सूची में रखा गया गई ।
जो शक्तियां राज्य सरकार के पास होती है उन्हे राज्य सूची में रखा गया है तथा जो शक्तियां केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनो आपस में साझा करती हों उन्हें समवर्ती सूची में रखा गया है ।
संघ सूची में 100 विषय है।
राज्य सूची 61 विषय है हालांकि पहले 66 थे ।
समवर्त्ती सूची में 52 विषय है हालांकि पहले 47 थे।
अनुसूची 8 में भाषा का उल्लेख है । भारतीय संविधान में 22 भाषाएं है हालांकि पहले सिर्फ 14 भाषाएं ही थी ।
अनुसूची 9 में भूमि सुधार है इसे भारतीय संविधान के पहले संशोधन 1951 में जोड़ा गया था । इसके सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं है ।
अनुसूची 10 में दल बदल है इसे 52 वे संशोधन द्वारा जोड़ा गया 1985 में राजीव गांधी के कार्यकाल में इस महत्वपूर्ण संशोधन को लाया गया था ।
दल बदल कानून के बाद कोई भी जीती हुई पार्टी का विधायक या सांसद पार्टी को नही बदल सकता है । इसके अनुसार चुनाव के पहले प्रत्याशी किसी भी पार्टी में जा सकता है और अपनी पार्टी को भी बदल सकता है चाहे तो निर्दलीय चुनाव लड़ सकता है परंतु चुनाव में जीत के बाद वह अपनी पार्टी को नहीं छोड़ सकता है ।
अनुसूची 11 में पंचायत को शामिल किया गया है ।
अनुसूची 12 में नगरपालिका को शामिल किया गया है ।
-------------------------
भारतीय संविधान के भाग:-
भारतीय संविधान के भाग एक को संघ और राज्य क्षेत्र के नाम से जाना जाता है ।
भारतीय संविधान के भाग 1 में चार ही अनुच्छेद है ।
इन चार अनुच्छेद में।
भाग 1. भारत राज्यों का संघ है । इस संघ में 28 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश है । इन राज्यों की सीमाक्षेत्र, विस्तार के बारे में चर्चा की गई है ।
भाग 2. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 2 में संसद द्वारा विदेशी राज्य को भारत में मिलाने को बताया गया है ।
अनुच्छेद 2 का प्रयोग करके संसद किसी भी विदेशी राज्य को भारत की सीमा में मिला सकती है , ऐसा करने के लिए संसद को राष्ट्रपति की अनुमति की आवश्यकता भी नहीं लेनी होगी ।
भाग 3. संसद के पास ऐसी शक्ति है कि वह भारत के किसी भी राज्य की सीमा और क्षेत्र फल में विना उस राज्य की अनुमति के परिवर्तन कर सकता है।
जैसे विहार से झारखंड बना
जैसे मध्यप्रदेश से टूट कर छत्तीसगढ़ बना
भाषाई आधार पर राज्य बनाने के लिए कमेटी बनाई गईं थी ।
सन 1948 में सबसे पहले SK धर आयोग गठित किया गया था इसने भाषाई आधार पर राज्यों का गठन करने से मना कर दिया तथा भाषाई आधार पर करने का विरोध किया ।
इसके बाद जेवीपी यानि जवाहर लाल नेहरू , सरदार वल्लभ भाई पटेल व , पट्टाभि सीतारमैया ने भी राज्यों के गठन का आधार भाषा रखने का विरोध किया ।
इसके बाद पेटलू श्रीरामलू भूख हड़ताल पर बैठ गए भूख हड़ताल के दौरान 56 दिन में उनकी मृत्यु हो गई जिससे बेहद स्थिति बिगड़ गई तभी भाषा के आधार पर प्रथम राज्य आंध्रप्रदेश का गठन किया गया।
यह पहला राज्य आंध्रप्रदेश 1 अक्टूबर 1953 को बना था ।
इसके बाद सन् 1953 में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायधीश फ़ज़ल अली की अध्यक्षता में फजल अली आयोग का गठन किया गया जिसे पर्याप्त चाहे गए 3 वर्ष का समय दिया गया। 3 वर्ष बाद सन 1956 में फजल अली आयोग की रिपोर्ट आई जिसके लिऐ भारतीय संविधान में 7 वा संशोधन किया गया था ।
भाग 4. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 4 के अंतर्गत प्रावधान है की जब भी संसद अनुच्छेद 2,3 का प्रयोग करेगा तो राष्ट्रपति इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है ।
अतः इसे अनुच्छेद 368 की सीमा से बाहर रखा गया है ।
भारतीय संविधान के भाग 2 .
भारतीय संविधान के भाग 2 में नागरिकता को समावेशित किया गया है । इस भाग में 7 अनुच्छेद है । अनुच्छेद 5.6.7.8.9.10.11.12 इन सभी अनुच्छेदों में नागरिकता संबंधी विभिन्न तथ्यों और महत्वपूर्ण नियम कानून का समावेशन किया गया है ।
अनुच्छेद 5.
अनुच्छेद 5. कहता है कि भारत का संविधान के बनने और प्रारंभ होने से ही यहां रहे वाले लोग भारत के नागरिक हो गए ।
1 नवंबर 1950 संविधान के लागू होने की तारीख से भारत में रह रहे लोगों को भारत की नागरिकता संविधान के लागू होने से ही प्राप्त है ।
अनुच्छेद 6.
अनुच्छेद 6. कहता कि यदि पाकिस्तान से ही 1 जुलाई 1948 के पहले यानी स्वतंत्रता से 1 जुलाई 1948 तक यदि कोई व्यक्ति भारत में आकर निवास बना लेता है तो उसे नागरिकता प्रदान की जाएगी।
लेकिन यदि कोई व्यक्ति 1 9 जुलाई 1948 के बाद के बाद भारत में आता है तो परमिट नियम लागू होगा इस नियम अनुसार व्यक्ति को आकार परमिट रूल संबंधी औपचारिकता को पूर्ण करना पड़ेगा इसके बाद 6 महीने तक भारत में निवास करना होगा इसके बाद ही भारत सरकार यह निर्णय लेगी की उक्त व्यक्ति को नागरिकता प्रदान करनी है या नही।
अनुच्छेद 7.
अनुच्छेद 7. कहता है कि 1 मार्च 1947 के ही पहले जो भी लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए है किंतु वे यदि वापिस आते है तो उन्हें भी नागरिकता अनुच्छेद 07 के अंतर्गत प्रावधान से प्रदान की जाएगी ।
अनुच्छेद 8.
अनुच्छेद 8. के तहत प्रावधान है कि कोई भी भारतीय विदेश में जाकर शिक्षा ग्रहण कर सकता है , व्यापार कर सकता है , भ्रमण कर सकता है , नौकरी कर सकता है , विवाह कर सकता है उसे उसकी नागरिकता से वंचित नहीं किया जा सकता है बस वह विदेश की नागरिकता ग्रहण न करे।
अनुच्छेद 9.
अनुच्छेद 9. में प्रावधान है कि यदि कोई भारतीय विदेश की नागरिकता ग्रहण करता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वत: ही खतम हो जाएगी।
अनुच्छेद 10.
अनुच्छेद 10. के तहत भारतीयों की नागरिकता बनी रहेगी ।
अनुच्छेद 11.
अनुच्छेद 11. के तहत प्रावधान है कि नागरिकता से संबंधी कोई भी कानून बिना संसद में पारित हुए नहीं बनेगा तथा इसका मसौदा गृह मंत्रालय तैयार करेगा ।
नागरिकता का अर्जन 5 प्रकार से ही किए जानें का प्रावधान है ।
1. जन्म से
2. वंश के आधार पर
3. पंजीकरण के द्वारा
4. देशीकरण के द्वारा
5. अर्जित भूमि के साथ
H na jkannn