बुंदेलखंड भूमि में अनेक संतो ने जन्म लिया और आज भी जन्म ले रहे है, यह वंदनीय भूमि है : किशोर दास जी महराज
दमोह. शहर के स्थानीय तहसील मैदान में चल रही वृंदावन धाम वासी गोरेलाल निकुंज आश्रम के परम पूज्य श्री श्री 108 महंत स्वामी किशोर दास देव जू महाराज के मुखारविंद से भक्तमाल कथा का आयोजन द्वितीय दिवस सम्पन्न हुआ. महंत किशोर दास जू ने अपने प्रवचन में कहा कि परमात्मा का मंगलमय दर्शन हो जाए तो क्या यह संभव है? नहीं लेकिन भक्तमाल का मूल प्राण है और प्रभु बिहारी जी कहते हैं कि मेरा दर्शन अमोघ और दुर्लभ है. जिनके अंतकरण में हम सदैव सर्वदा विराजमान रहते हैं ऐसे पूर्वाचार्य, संत चरण जो सदा सर्वदा मेरा नाम, रूप, लीला धाम में रख रस मगन होकर मेरी भक्ति में डूबे रहते. जिनकी कोई कभी चाह कामना नहीं होती. जिनके अंतःकरण में यदि कोई चाह कामना है. तो वह केवल मेरे चरण कमल के अलावा उनके चित में कोई गति नहीं और ना ही कोई मति है और यदि मती है. तो मेरे चरण कमल और कोई गति है तो मेरे चरण कमल. ऐसे हदयवान हे मेरे भक्तों, भगवान का बसेरा कहां है कहेंगे कि भगवान कहां निवास करते हैं तो लोग कहते हैं कि मंदिर में मिलेंगे, नहीं जब मिलेंगे जहां मिलेंगे भक्तों के हृदय कमल में मिलेंगे. इसके अतिरिक्त इससे बड़ा कोई मंदिर नहीं है हदय ही मन मंदिर है यही श्री वृंदावन धाम है. अपने हृदय मन में अपने प्राण धन को एक बार विराजमान करें. अगर एक बार बिहारी जी को छू लिया अगला जन्म लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आचार्यो ने संग का बहुत बार प्रसंग दिया. अगर हमारे संग साधु पुरुषों का हो जाये. तो हमारा पुण्य फल प्राप्त हो गया, हमारे मन वृत्ति के ऊपर कोई आवरण न जाये. जो हमारी भक्ति महारानी में कोई दोष न जाये. जब प्रेमियों का संग करेंगे तो हम भी प्रभु के प्रेमी एक दिन बन जाएंगे, जीवन मे हमारे संत मिल जाये सत्संग मिल जाये तो एक न एक दिन भक्ति महारानी हमारे अंतःकरण में विराजित होगी. यह बुंदेलखंड भूमि में अनेक संतो ने जन्म लिया,और आज भी जन्म ले रहे है,यह वंदनीय भूमि है l
*पत्रकारों का स्वामी जी ने किया सम्मान*
भक्तमाल कथा के दूसरे दिन कथा समाप्ति के बाद स्वामी किशोर दास जूदेव जी महाराज ने समस्त पधारे हुए पत्रकारो का बिहारी जी की पट्टि का पहना कर सम्मान किया.
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