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how to born Mahishasura जल मे रहने वाली मायावी भैस का प्रेम महिषासुर


Mahishasura

 

जल मे रहने वाली मायावी भैस का  प्रेम   

महिषासुर





 आप महिषासुर के बारे में तो जानते ही हागे ।  

 लेकिन  


आप यह नही जानते होगे कि वह मषिसुर कैसे बना और वह जब चाहे भैंस का रूप  कैसे ले लेता था 



               

इये आज हम महिषासुर बनने की कहानी के वारे मे जानते है कि वह महिषासुर कैसे बना। और उसने देवाताओं को किस प्रकार परेशान करके रखा था।    

आइये जानते है।

                             ➤  कहानी  




महिषासुर असुर प्रवित्ती का एक राक्षस था जो जब चाहे भैंसे का रूप ले सकता था। उसके पिता का नाम रंभ था जो असुरो का राजा था।  असुरो के राजा रंभ को एक वार जल मे रहने वाली मायावी भैस से प्रेम हो गय।





और उसने उस मायावी भैंस से शादी कर ली।   

रंभ का उस मायवी भैंस से एक पुत्र हुआ जिसका नाम महिसासुर रखा गया। महिषासुर जब चाहे अपनी इच्छा के अनुसार नायवी भैसे का रूप धारण कर सकता था।




* महिषासुर भगवान ब्रम्हा का महान भक्ता था। उसने भगवान ब्रम्हा की अत्याधिक तपस्या की और भगवान ब्रम्हा को प्रसन्न किया। भगवान ब्रम्हा जब प्रसन्न हुऐ तो उन्होंने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया की कोई भी देवता व दानव तुम पर विजय प्राप्त नही कर सकता। 



अब महिषासुर भय मुक्त हो चुका था तथा भय मुक्त होते ही उसे इन्द्रलोक पर आक्रमण किया तथा देवताओं के राजा इन्द्र का हराकर इन्द्र लोक पर कब्जा कर लिया और वही रहने लगा। 

सभी देवता परेशान होकर अपनी जान की रक्षा करते हूऐ तीनो देवाताओ ब्रम्हा, विष्णु, महेश के पासा पहुचे। लेकिन ब्रम्हा जी ने पूर्व मे ही उसे आर्शीवाद दे चुके थे।

 कि कोई भी देवता व दावन तुम पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता था। इसिलिए तीनो देवता भी मिलकर उसे नहीं हरा सकते थे। यदि तीनो देवता मिलकर भी उसे हराने का प्रयास करते तो उनके द्वारा बनाई हुई सृष्टि का विनाश सम्भव था।

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