समीक्षात्मक लेख - लेखक - गुमनाम
मध्यप्रदेश सरकार इन दिनों अपने कार्यों की सराहना खुद ही किए जा रही है ।इन दिनों ताजा खबरें मौसम अनिश्चितता ऑर खराब स्थितियों के कारण कृषकों की फसलों को होने वाले नुक़सान की खबरे तो चारो ओर से आ रही है ।
उर्दा , हो या अरहर या अन्य कोई फसल नुकसान की खबरे चारो ओर से आ रही है ।
मध्यप्रदेश सरकार पर विपक्षी पार्टियों के द्वारा प्रचार फैक्ट्री कहकर तंज कसा जाता यह कही कही सत्य ही होता दिखाई देता है ।
मध्यप्रदेश में किसानों की स्थिति अत्यंत खराब है , हालांकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता की प्रदेश सरकार कृषकों के लिए कार्य नहीं कर रही है , परन्तु कार्यों से ज्यादा तो अपने कारनामों के पुल बनाने में प्रदेश सरकार व्यस्त है ।
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Mp government and chironjlaal story lok samiksha |
इस समय प्रदेश सरकार के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में वर्तामन एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के द्वारा अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर ट्विट किया गया और यह दर्शाया गया है कि प्रदेश के उन किसानों को , जिन्होंने फसल बीमा करा रखा है , इस मौसम की अनिश्चितता के कारण जो उनकी फसल खराब हो चुकी है उन्हे बेहद खुशी इस कारण हो रही है कि उन्होंने बीमा कराया और अब उन्हें बीमा के अनुसार पैसे मिलेगे ।
निश्चित रूप से "फसल बीमा "यदि किसी कृषक का है तो वह उसकी आय की अनिश्चितता को कम करेगा , कृषक को आर्थिक सहारा देने के लिए यह , अच्छा कदम हो सकता है किन्तु फसल बीमा की योजना का प्रचार इस प्रकार करना कि किशान को अपनी भू - की उस फसल जिसे उसने अपने हाथो से , खेत को अनुकूल बनाकर ,उसकी मिट्टी को नाना प्रकार के हाथ, पैर ,मशीनों से बिजांकुरण के लिए बनाया , इस मानसून में पानी की अनिश्चितता में अपने पसीने से सींचा , दिन- रात खेत में जाकर एक दम विपरीत परिस्थितियों में , कीड़ों मकोड़ों , सांफ - बिच्छू का सामना करते हुए - खरपतवार निकाला ।
अपने खेत में खप - खप कर चलते हुए 30-50 लीटर बजन कंधो पर लादे हुए - कीटनाशी - खरपतवार नाशी - दवाइयों का छिड़काव किया - जिसमें आधी - दवाई हवा के बहाव में आकार उसी की आंख , नाक , मुंह में प्रवेश कर रही है
वह किसान जिसने रात - दिन अपनी फसल की रखवाली जानवरो से - की है , वह फसल जिसकी एक एक फली एक- एक बीज के साथ किसान का गहरा नाता हो चुका है ।
इस फसल को बड़ी उम्मीदों के साथ कृषक ने बड़ा किया है ,
इस फसल के एक - एक फली - बीज में किसान अपने माता - पिता की दवाइयों का खर्चा , अपने बच्चो के लिए काफी - किताबे , पेन , व बस्ते , के साथ उनका भविष्य लिख रहा था| अपनी टूटी क्षत की मरम्मत के लिए पैसे की आश लगाए उस फसल को चकोर कि भांति टकटकी लागए देख रहा था , राशन वाले का कर्ज चुकने कि उम्मीद , दीवाली के लिए बच्चो के लिए नए कपड़े , आदि ना जाने क्या - क्या उम्मीद संजोए बैठा था ।
मौसम की इस अनिश्चितता , अतिवृष्टि जब उसकी खड़ी, कटी हुई फसलों को खराब कर देती है तो इसी के साथ उसकी सारी उम्मीदें भी टूट - जाती है इन सभी उम्मीदों पर भी पानी फिर जाती है ।
अब इस स्थिति में यदि किसी कृषक के पास फसल बीमा है भी तो उसको एक छोटा सहारा तो दिया जा सकता है , लेकिन उसकी इस जोखिम भारी - आशा पूर्ण मेहनत , उसकी आशाए , कृषक के उन सभी उम्मीदों से बड़ी की गई फसल का पैसा या बीमा- मदद किसान को नहीं दी जा सकती जिससे उसकी उन सभी जोखिमों , और उम्मीदों से भरे मेहनत पूर्ण कार्य का मूल तो ठीक , ब्याज भी नहीं चुक सकता है ।
इस लेख के माध्यम से मेरा प्रदेश सरकार से विनम्र निवेदन है , आपकी कृषक हितैषी योजनाओं की सराहना करते है ,लेकिन अपनी योजनाओं के माध्यम से कारनामे गिनाने के प्रयास में आप कहीं कृषक भाईयो का दिल ना दिखाए ।
लेखक :- गुमनाम
Writer - anonymous
H na jkannn