कुछ खगोलीय पिंड बड़े आकार वाले तथा गर्म होते हैं यह गैसों से बने होते हैं जिसे बहुत बड़ी मात्रा में उत्सर्जित करते हैं इन खगोलीय पिंडों को तारा कहते हैं।
उदाहरण के रूप में सूर्य एक तारा है।
खगोलीय पिंड को अंग्रेजी भाषा में celestial bodies कहां जाता है।
तारा ]✓ ऊष्मा HEAT
]✓ प्रकाश Light
तारा बनने से पूर्व तारा एक विरल रूप से वितरित गैस के भंडार के रूप में होता है। अर्थात विरल गैस का भंडार होता है।
इसके पश्चात गुरुत्वाकर्षण के कारण गैस का भंडार सनकेंद्रित होता है तब इसे निहारिका या नेवुला कहा जाता है।
आपस में गैसों के संग केंद्रित होने के कारण पिंड में ही अर्थात ऊष्मा उत्पन्न होती है और गैस केस भंडार में आग उत्पन्न होती है।
तव यह तारा का रूप धारण कर लेता है।
तारे के अंदर हाइड्रोजन का हीलियम में संलयन होता है जो तारे के ऊर्जा का स्रोत होता है यही नाभिकीय ईंधन होता है।
यह नाग के ईंधन तारीख के अंदर प्लाज्मा की अवस्था में रहता है।
लाल दानव तारा।
जब इस तारा ईंधन समाप्ति की ओर होता है तब इसका आकार बढ़ जाता है और यह लाल रंग का दिखाई देने लगता है इस स्थिति में इस तारा को लाल दाना तारा कहा जाता है।
लाल दानव तारा =} स्वेत वावन तारा =} काला वावन
निहारिका =} तारा =} लाल दानव तारा =} अभिनव तारा
अभिनव तारा =} न्यूट्रॉन
=} पल्सर घूर्णन
=} क्वेसर
=} काला होल

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