गांव में रह रहे ग्रामीण किसानों के नाम का फर्जी देता तैयार कर आला अधिकारी कर रहे फर्जीवाड़ा!
बकस्वाहा । छतरपुर जिले में कृषि विभाग अंतर्गत आने वाली योजनाओं में फर्जीवाड़ा कर आला अधिकारी अपनी जेबों को भरने में लगे हैं। अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की मदद से गांवों में रह रहे ग्रामीण किसानों का डेटा लेकर उसने फेरबदल कर उनके नाम बीज स्वीकृत कराते हैं । कर्मचारियों की मदद से किसानों की सहमति के बगैर ही ऐसा डेटा उपलब्ध करके
बकस्वाहा क्षेत्र अंतर्गत संचालित अलग - अलग कृषि बीज वितरण में, हुआ फर्जीवाड़ा।
एस. ए. डी. ओ कार्यालय में बीज वितरण घोटाला, वरिष्ठ अधिकारी नहीं करते कार्रवाई।
कृषि विभाग केंद्र एवम् राज्य सरकार के सहयोग से तमाम प्रकार की ऐसी सभी योजनाएं संचालित कर रहा है जिससे कि किसानों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ एवम् सहयोग के साथ साथ आधुनिक तकनीकी एवम् उन्नत बीज के उपयोग हों, कृषि विभाग ने इन योजनाओं का क्रियान्वयन करने का प्रयास कर रही हैं।
उन्नत किस्म के बीज के उपयोग को बढ़ाने के लिए छतरपुर जिले अंतर्गत आने वाले सभी विकासखंडो में रबी एवम् खरीफ के मौसम में अलग- अलग फसल के चयन के पूर्व कृषि विभाग में मृदा परीक्षण करवाया जाता है मृदा के परीक्षण से जानने का प्रयास किया जाता है कि मृदा में उपस्थित उर्वरता शक्ति, पोषक तत्वों,खनिज लवण, अम्लता एवम् क्षरकता की मात्र क्या है। यह जानने के उपरांत संबंधित मिट्टी के गुण एवम सिंचाई व्यवस्था के अनुरूप ही फसल का चयन किया जाना चाहिए। फसल चयन में मदद और आवश्यक सलाह कृषि विस्तार अधिकारी से ली जा सकती हैं। कृषि विभाग में उन्नत बीजों के उपयोग के लिए एन.एफ.एस.एम राष्ट्रीय खाद्य एवम् पोषण सुरक्षा मिशन योजना,बुंदेलखंड विशेष पैकेज,राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा ऑन एडिवल ऑयल,बीज ग्राम इत्यादि योजनाओं के तहत योजना के अनुसार फ्री एवम् सब्सिडी पूर्ण दरों पर बीज उपलब्ध कराया जा रहा हैं।
योजना अनुसार अलग - अलग बीजों को प्राप्त करने के बाद किसान रजिस्टर्ड दुकान से से दवाई व फर्टिलाइजर को योजना अनुसार बताई गई मात्रा में क्रय कर पक्का बिल पर किसान स्वयं के हस्ताक्षर कर कार्यालय में जमा करता है जिसके बाद तीन प्रतियों में इस जानकारी को एसडीओ एवम् डीडीए कार्यालय में भेज दी जाती है जहां से संबंधित किसानों के बैंक खाते ने सब्सिडी राशि डीबीटी के माध्यम से अंतरित की जाती हैं।
बकस्वाहा के किसानों के नाम खजुराहो, छतरपुर दवाई दुकान के बिल
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जिले से करीब 110 किलोमीटर दूर स्थित बकस्वाहा के किसानों के नाम पर खजुराहो,छतरपुर स्थित दवाई दुकानों के बिल लगाए जा रहे है जिससे योजना सवालों के घेरे में है कि बकस्वाहा क्षेत्र में करीब 15 दवाईयों की दुकानें स्थित होने के बाद भी किसान खजुराहो, छतरपुर दवाएं खरीदने क्यों जाएगा जबकि पास में दमोह जिला मुख्यालय भी महज 50 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित हैं।
किसान के नाम बीज का वितरण, कृषक को पता नहीं
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कृषि विकास विभाग बकस्वाहा अंतर्गत उड़द,मूंगफली,ज्वार बीज वितरण में दिखाए गए अलग - अलग गांव के किसानों से जब उन्हें प्राप्त योजना के लाभ के बारे में पूंछा तो पता चला कि उन्होंने ने कोई बीज नहीं लिया न तो लेने के लिए विभाग गए। प्राकृतिक कृषि अंतर्गत वितरित किए गए उड़द बीज के वितरण की जानकारी देते हुए सिद्धाई ग्राम के गोटी आदिवासी कहते हैं कि उन्होंने आज तक कृषि विभाग न तो देखा हैं और न ही विभाग के अधिकारी - कर्मचारी से उनकी अभी तक मुलाकात हुई इसके बाबजूद उनके नाम विभाग में क्या - क्या निकाला गया यह उन्हें पता नहीं है, इसी प्रकार कलुवा, कली, तिजुवा, कुसुम भी वितरण से अंजान हैं।
प्राकृतिक खेती के तहत बीज वितरण दिखा दिया , अधिकारी बोले ऐसी योजना नहीं हैं।
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रबी वर्ष 2024- 25 में रबी के उपार्जन के समय उड़द के 290 प्रदर्शन क्लस्टर विकासखंड के किसानों के वितरण हेतु आए थे जिनमे से करीब 210 क्लस्टर का ही वितरण कराया गया है बाकी के शेष प्रदर्शन को प्राकृतिक खेती अंतर्गत वितरण दर्शाते हुए कृषकों की फर्जी सूची बनाई गई जिनमे बिना पंजीयन किए ही आधार कार्ड नंबर पर वितरण दर्शाया गया है। जब प्राकृतिक खेती योजना के बारे में अधिकारी - कर्मचारी से पूछा जाता है तो वे अलग - अलग मत देते है। एसडीओ रवीश सिंह एवम डीडीए के.के वैद्य प्राकृतिक खेती जैसी योजना न होने की बात करते है, जबकि एन.एफ.एस.एम शाखा प्रभारी राम नरेश गोयल कहते हैं कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शन बीज का एक चौथाई निशुल्क बांटा गया हैं ताकि गोबर इत्यादि से प्राकृतिक तरीके से खेती की जा सके।
महिला की जाती बदल कर दर्शाया वितरण
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प्राकृतिक खेती में उड़द बीज वितरण में बतौर किसान दर्शाई गई कुसुम बेब मूलचंद्र बसोर, पूछने पर कहती हैं कि उनका वास्तविक नाम कुसुम बेवा मूलचंद्र बसोर है जबकि लिस्ट में उनका नाम बदलकर कुसुम बेवा मूलचंद्र अहिरवार करके बीज निकाला गया इसी प्रकार उनके नाम के साथ मोबाइल नंबर से भी छेड़खानी की गई है जबकि आधारकार्ड नंबर उनका ही हैं । वे कहती हैं कि तो वे आज तक कृषि विभाग गई हैं और न ही उन्होंने किसी को दस्तावेज दिए ।
तिजुवा के नाम बट गई मूंगफली, तिजुवा बोले ' मैने नहीं ली'
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2024-25 में मूंगफली बुआई के समय हुए मूंगफली वितरण पर जब सिद्धाई गांव के तिजुवा पिता मल्ला आदिवासी से पूछा तो उन्होंने शपथ बयान देते हुए बताया कि उन्होंने कृषि विभाग से न तो मूंगफली ली है और न तो इसके लिए आवेदन किया इसके बाद भी उनके नाम मूंगफली का फर्जी वितरण दिखा दिया है,जिससे नाराज तिजुवा जिम्मेवारों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इसी के साथ निमानी गांव के कालू आदिवासी कहते हैं कि उन्होंने भी कृषि विभाग से कोई भी बीज नहीं लिया है लेकिन उनके नाम पर मूंगफली बीज का फर्जी वितरण दिखाया गया है।
फर्जीवाड़े में फर्जी मो० नंबर का खेल
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आंकड़े कहते हैं कि इन कृषकों के नाम फर्जी वितरण करने के लिए जिम्मेवारोंं ने फर्जी मोबाइल नंबर का सहारा लिया है प्राकृतिक खेती उड़द के नाम तैयार की गई लिस्ट में बाजना, निमानी, ढिंमरवा, दरगुंवा, सिद्धाई आदि गांवों के किसानों के मोबाइल नंबर बदले गए है नंबर डायल करने पर अधिकांश नंबर अवैध तो कुछ छत्तीसगढ़, पुणे,मऊरानीपुर,विहार लग रहे हैं तो वहीं कुछ किसानों के मोबाइल नंबरों में बीच एक - दो अंक बदले गए है।
आरटीआई से प्राप्त जानकारी में मूंगफली के कृषकों की लिस्ट में तिजुवा आदिवासी के मोबाइल नंबर की जगह ए.ई.ओ अमन जैन का मोबाइल नंबर पाया गया,किसान ..... के सामने सत्यम उपाध्याय के धार जिले के परिचित मित्र.. अश्विन का नंबर पाया गया हैं।
15 -16 किसानों के खाते में सब्सिडी नहीं आने पर किसानों को गड़बड़ी की आशंका
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बकस्वाहा के .... ग्राम निवासी ...असाटी, .....असाटी, ... गांव के.... लोधी,...लोधी,.....लोधी कहते है कि उन्होंने वर्ष 24-25 में उड़द का बीज लिया था इसके बाद भी उनके खाते में आज तक सब्सिडी राशि अंतरित नहीं हुई है जिस वजह उन्हे आशंका हैं की कहीं उनके साथ गड़बड़ी न की गई है?
अधिकारियों को शिकायत के बाद भी नहीं होती है कार्रवाई?
विकासखंड बकस्वाहा अंतर्गत आने वाले गांवों के किसानों के साथ हुए फर्जीवाड़े की शिकायत जब उच्च अधिकारियों से की जाती है तो भी अधिकारी इस पर ध्यान नहीं देते है और न ही कार्रवाई करते हैं ठीक इसी तरह बीते साल हुए जौ के बीज वितरण में में फर्जीवाड़े की बार बार शिकायत के बाद जांच की गई थी लेकिन आज दिनांक तक जांच रिपोर्ट डीडीए कार्यालय नहीं पहुंची जिससे दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। पत्रिका ने भी बार बार खबर प्रकाशित कर मामले को अधिकारियों के संज्ञान में लाया लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी है।
पत्रिका व्यू.
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यदि किसान किसी भी बीज का नियमानुसार लाभ लेना चाहता है तो उसे कृषि विभाग या कृषि विस्तार अधिकारी से समय समय पर योजना के बारे में जानना चाहिए। बीज की मात्रा के अनुसार दो प्रकार से बीज वितरण किया जाता हैं।
1. मिनी किट
-- मिनी किट किसानों के किए मुफ्त उपलब्ध करवायी जाती है जिसमे सिर्फ आधार कार्ड और खसरे पर किसानों को तत्काल बीज उपलब्ध हो जाता हैं।
1.1 उड़द - 5 किलो
1.2 सरसो -2 किलो
1.3 मसूर -
1.4 ज्वार -
1.5 मूंग -
2. प्रदर्शन क्लस्टर..प्रदर्शन क्लस्टर के तहत ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद बीज फ्री उपलब्ध करवाया जाता है जिसके बाद दवाएं खरीदी की भी सब्सिडी खाते ने आती हैं।
2.1 उड़द आ 20 किलो
2.2 मसूर -
2.3 मूंगफली -100 किलो
2.4 अरहर - 20 किलो
2.5 चना - 75 किलो
2.6 गेंहू -
2.7 जवा - 80 किलो




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