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नो फिकर फाउंडेशन की पहल: ।पक्षियों की प्यास बुझाने पेड़ों पर बांधे सैकड़ों सकोरे।

नो फिकर फाउंडेशन की पहल: पक्षियों की प्यास बुझाने पेड़ों पर बांधे सैकड़ों सकोरे।

नो फिकर फाउंडेशन की पहल: पक्षियों की प्यास बुझाने पेड़ों पर बांधे सैकड़ों सकोरे




पन्ना-गर्मी अब सितम ढाने लगी है और सूरज आग उगल रहा है, बढ़ती गर्मी में मनुष्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी पानी की आवश्यकता होती है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए नो फिकर फाउंडेशन ने एक सकारात्मक पहल की है. हनुमान प्रकटोत्सव उत्सव के पावन अवसर पर नो फ़िकर फाउंडेशन द्वारा पक्षियों की जान बचाने के लिए मिट्टी के पात्र अर्थात सकोरा लगाने की पहल की गई जिसमें हनुमान प्रकटोत्सव के दिन 1001 स्थानों पर सकोरा लगाने का संकल्प लिया गया. इस पहल की जानकारी देते हुए नो फ़िकर फाउंडेशन के संचालक अभिनव मुखुटी ने बताया कि वर्तमान समय में धार्मिक उत्सव तथा महापुरुषों की जयंतीं राजनीति का पर्याय बन गई है इसलिए हनुमान प्रकटोत्सव के अवसर पर संस्था ने प्रकृति संरक्षण का सन्देश देने का प्रयास किया है बेजुबान पक्षियों की जान बचाने के लिए लोगों को अपने घर की छत एवं समीप के वृक्षों पर सकोरे में दाना-पानी रखने हेतु जागरूक करने के उदेश्य से नो फ़िकर फाउंडेशन द्वारा परिंदों के लिए दाना-पानी पहल की गई जिसके तहत बुन्देलखंड के सात जिलों की 20 विधानसभाओं में नो फ़िकर फाउंडेशन के सदस्यों द्वारा 1001 सकोरा बांध कर बेजुबान पक्षियों हेतु दाना-पानी की व्यवस्था गई. इस पहल में जन प्रतिनिधिओं सहित बच्चों से लेकर बुजुर्गों ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया. इससे पूर्व नो फिकर फाउंडेशन द्वारा दमोह एवं सागर जिले की 51 पंचायतों में स्वच्छ भारत, पौधारोपण, नशा मुक्ति एवं मतदान जागरुकता जैसे विषयों पर नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गई है.नो फ़िकर फाउंडेशन के युवा गर्मियों में पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए पहल कर रहे हैं। ये युवाओं की टोली के पेड़ों पर सकोरे बांध रहे हैं और उनमें पानी भर रहे हैं। इन दिनों पन्ना में जमकर गर्मी पड़ रही है शनिवार को 41 डिग्री पर तापमान था। ऐसे में पक्षियों की पानी की कमी से मौत न हो, उसके लिए युवाओं ने पक्षियों के लिए दाना पानी अभियान की पहल की है। ऐसी भीषण गर्मी में पक्षियों को भी पानी की बेहद जरूरत होती है। हमारे साथियों ने मिलकर इस पर विचार किया गया और सड़क किनारे,आवास,पेड़ों पर सकोरे (पक्षियों के लिए पानी से भरा कटोरा) लगाए हैं। मिट्टी के इन सकोरों में रस्सी बांधकर पेड़ों पर लगा कर इनमें पक्षियों के लिए पानी और दाना डाला जाता है। यहां पक्षी झुंड बनाकर आते हैं और सकोर के ऊपर बैठकर दाना पानी लेते हैं। यूं तो लोग घरों में सकोरे रखकर पक्षियों के पानी की व्यवस्था करते हैं, लेकिन यह बहुत कम संख्या में होती है।दोपहर में जहां लोग गर्मी से बचने के लिए कूलर-एसी के पास पहुंच जाते हैं। वहीं युवाओं की यह टोली बोतलों में पानी लेकर सड़कों पर,घर घर, पेड़ों के पास निकल जाती है। बोतलों के पानी से पेड़ों पर बांधे गए सकोरे भरे जाते हैं। सकोरों में दाना भी डाला जाता है।सकोरों में पानी भरने के लिए हमारी टोली के सदस्यों के अलावा लोग भी जिम्मेदारी ले रहे हैं। बाजार में लगे सकोरों में निरंतर पानी भरने दाना रखने के लिए आसपास के दुकानदार भी आगे आए हैं।कहते हैं किसी भी मनुष्य के लिए पहला धर्म मानवता का धर्म है। भगवान हनुमान जयंती पर समाजजनों ने मानव धर्म का पालन कर मूक पंछियों के मददगार बनने का संदेश दिया। हनुमान जयंती पर समाजजनों ने पंछियों के लिए सकोरे वितरित कर संकल्प लिया कि इस भीषण गर्मी में वे उनके लिए राहत की छांव बनेंगे। पंछियों को भोजन-पानी के लिए भटकना न पड़े, इसलिए समाजजन अब अपने घरों की छत-आंगन या बगीचो में सकोरे रख उनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था करेंगे। शनिवार पन्ना क्षेत्र में हर्षोल्लास से हनुमान जयंती के साथ ही पंछियों के जल पात्र के रूप में सकोरे लगाए गए। बड़ी संख्या में समाजजन कार्यक्रम में शामिल हुए और मूक पंछियों के लिए की गई इस मानवीय पहल के भागीदार बने। महिलाओं ने भी सकोरे लेकर समाजजनाें को पंछी मित्र बनने का संदेश दिया।
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