बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान किस जिले में आता है।
उमरिया जिला शहडोल संभाग
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में प्रोजेक्ट टाइगर 1993 ईस्वी में आया था यह प्रदेश का तीसरा प्रोजेक्ट टाइगर है तथा इसके पहले भारत का प्रथम प्रोजेक्ट टाइगर कान्हा किसली में आया था दूसरा प्रोजेक्ट टाइगर नेशनल उद्यान में आया था।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान 437 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान विंध्याचल पर्वतमाला की पूर्वी भाग में स्थित 32 पहाड़ियों से घिरा हुआ एक सुंदर राष्ट्रीय उद्यान है।
भारत में बाघों की संख्या के संदर्भ में सर्वाधिक बाघ घनत्व वाला राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ ही है जिसमें प्रति 8 किलोमीटर क्षेत्रफल में एक बाघ पाया जाता है।
सर्वाधिक भाग घनत्व के कारण बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की तुलना राजस्थान के रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान से की जाती है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध है इसके तहत वह सफेद शेर भालू तेंदुआ चीतल नीलगाय हिरण तथा अन्य वन्य जीव के लिए भी जाना जाता है।
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बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान को लैंड ऑफ वाइट टाइगर रिय सफेद शेरों की भूमि कहा जाता है।
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बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान वन क्षेत्र में सर्व प्रथम वर्ष 1914 15 में सफेद बाघ देखा गया था जिसे रीवा के तत्कालीन राजा वेंकट रमण सिंह ने पकड़ा था ।
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विशेष तथ्य ।
महाराजा वेंकटरमण सिंह रीवा रियासत के सर्वाधिक शेरों का शिकार करने वाले सिख शासक थे जिन्होंने वर्ष 1914 15 तारीख का 111 शेरों का शिकार किया था।
नोट रीवाााा राजवंशों के शासकों द्वाााााााारा 109 शेरों का शिकार करना शुभ माना जाता था जिसके कारण बांधवगढ़ के जंगलों को रीवा के महाराजाओंंंं के आखेट स्थल अर्थात शिकार स्थल के रूप में आरक्षित था
23 मई 1951 ईस्वी को बांधवगढ़ के जंगल में मड़वास के समीप भरतरी वन क्षेत्र में रीवा के तत्कालीन महाराजा मार्तंड सिंह ने के एक सफेद बाघ देखा गया था जिसका नाम मोहन रखा गया था ।
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नोट वर्तमान में भरतरी वन क्षेत्र संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है ।
सफेद नर बाघ मोहन की मृत्यु 28 दिसंबर 1969 को मार्तण्ड सिंह के महल में हो जाती है ,जिसके सम्मान में भारत सरकार ने वर्ष 1975 में एक डाक टिकिट जारी किया था ।
भारत में मध्य प्रदेश की पहली फाइट टाइगर सफारी वर्ष 2016 में मुकुंदपुर जिला सतना में स्थापित की गई जिसका नाम महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव आ व्हाइट टाइगर सफारी रखा गया था।
नोट भाई टाइगर सफारी सतना में सर्वप्रथम विंध्या नामक माल शेर को पुनर्वास सेट किया गया था।
विशेष तथ्य।
उमरिया जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में बघेल संग्रहालय स्थित है जहां सफेद बाघ मोहन तथा अन्य भागों की खाल को संरक्षित किया गया है।
मोहन के अलावा सीता आचार्य मोहिनी बिट्टू और बानूड़ा नामक अन्य सफेद बाघों का भी निवास स्थल बांधवगढ़ ही रहा है ।
सफेद नर बाघ चार्जर के नाम पर बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में चार्जर पॉइट बना हुआ है।
सीता माता बाद की तस्वीर को नेशनल ज्योग्राफिक मैगजीन के मुखपृष्ठ पर प्रदर्शित किया गया था।
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नोट
सीता मा दा बाघ को 9 माह की उम्र में बस्तर छत्तीसगढ़ को 22 जून 1994 में वन विहार भोपाल लाया गया था और बाद में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षण प्रदान किया गया था।
माधव्बाग सीता के नाम पर भारत में सबसे ज्यादा फोटो खींचे जाने का रिकॉर्ड है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में हाथियों के आरक्षित निवास क्षेत्र के लिए पुनर्वास योजना संचालित की जा रही है।
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वर्ष दो हजार अट्ठारह को बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में सुंदरी वागन को उड़ीसा के साथ कोरिया टाइगर रिजर्व में पुनर्वासित किया गया था।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के मध्य से चरण गंगा नदी प्रवाहित होती है। जेल प्रहरी 2018
उमरार नदी , अधियारी तालाब तथा भद्र शिला झील भी बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में बांधवगढ़ का किला है जो 2000 वर्ष पुराना है इसके लिए मैं शेषनाग सैया पर विराजमान भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति है जिसे चट्टानों से काट कर बनाया गया था चरण गंगा नदी का उद्गम स्रोत भगवान विष्णु के चरणों से ही माना जाता है।
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विशेष तथ्य बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में भगवान विष्णु के 10 अवतारों की मूर्तियां भी देखी जाती हैं बांधवगढ़ क्षेत्र का वर्णन रामायण में मिलता है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान पर आधारित बांधवगढ़ इन्हेरिटेंस एंड वाइल्ड नामक पुस्तक के लेखक बिट्टू सहगल है इस पुस्तक का विमोचन वर्ष 12- 13 जनवरी 2019 को तत्कालीन पर्यटन केंद्रीय मंत्री अल्कान कन्नम थानम भवन भोपाल में किया था।
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